Attitude Status 15 August Story हमसब हिन्दुस्तानी 15 August 2022 को अपनी आजादी की 75 वां सालगिरह मनाएंगे. 75 वर्ष पहले भारत अंग्रेजी हुकूमत के अंदर गुलाम था लेकिन उस गुलामी को हमारे देश के वीर सपूतों ने अपनी सूझ बूझ और त्याग के बदौलत ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंका और अपने आने वाले पीढ़ियों को गुलामी की जंजीर से मुक्त कर दिए।
नमस्कार दोस्तों हमारे इस सच्ची कहानी Web Page के नई कहानी में आपका स्वागत है मुझे उम्मीद है की आप इस कहनी से आप कुछ जरूर सकारात्मक चीज सिखेंगे और आपको हमारे द्वारा लिखी कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया आप निचे दी गई लाल वाली घंटी को जरूर दबाकर सब्सक्राइब करें.
स्वतंत्रता दिवस से जुड़े बातों को हम सब इस Artical में जानने की कोशिश करेंगे…
भारत में अंग्रेज कब और कैसे आए थे ?
भारत को पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि यहां प्रकृति द्वारा दिया गया वो सभी मूल्यवान चीजें थीं जो किसी देश को सुखी संपन्न बनाता है इसी कारण दुनिया की नज़र भारत पर टिकीं हुई थीं यहां जो कोई भी दूसरे देश से घूमने आता वो अपना यहां व्यापार शुरू कर देता और फिर धिरे धिरे हमारे देश से मूल्यवान वस्तुओं को अपने देश ले जाता।
इसी तरह 24 अगस्त 1608 ई० में अंग्रेजों ने व्यापार करने के उद्देश्य से समुद्री रास्ते से भारत के सूरत बंदरगाह पर आए। 7 वर्ष बाद जेम्स प्रथम के राजदूत सर थॉमस रो की अगुवाई में सूरत में करखना स्थापित करने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद दूसरा कारखाना मद्रास के विजयनगर साम्राज्य में ईस्ट इंडिया कंपनी स्थापित करने का निर्णय लिया।
भारत में पहले अपने छोटे मोटे धंधे करने वाले यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों को अंग्रेजों ने धीरे धीरे करके यहां से भागा दिया गया और अपने अंग्रेजी व्यापारिक दायरा को पूरे भारत में विस्तार करना शुरू कर दिया। अंग्रेज यहां मुख्य रूप से अफ़ीम, नील, रेशम और कपास का व्यपार करते थे जो की भारत के हर जगहों पर आसानी से कच्चे माल बेहद कम दाम पर मिल जाता था।
अंगेजों का भारतीय राजनीति में प्रवेश
अंग्रेजों द्वारा भारत में व्यापार करने के दौरान देखा की हिंदुस्तानी लोग सब अलग थलग हैं कोई धर्म के नाम पर, तो कोई जाति के नाम पर, तो राजनीति, आर्थिक के नाम पर सब एक दूसरे से लड़ रहे हैं इसी चीज की अंग्रेजों ने फायदा उठाया और कूटनीति करनी शुरू कर दी। सन् 1750 के दशक तक ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय राजनीति में अपना वर्जस्व जमा चुके थे, सन् 1757 ई० में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया ने प्लासी युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुदौला को हराकर भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की शासन काल प्रारंभ हो गया।
भारत की आजादी की शुरुवात कैसे हुई ?
लगभग 100 वर्षों बाद देश के वीर सपूतों और अंग्रेजी शासन में तैनात भारतीय सिपाहियों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया और सन् 1858 ई० में ईस्ट इंडिया कम्पनी को उखाड़ फेंका और भारत की स्वतंत्रता की पटकथा लिखी गई, इसे सिपाही विद्रोह या 1857 की क्रांति भी कहा जाता है।
भारत को आजादी कब और कैसे मिली ? (15 August Story)
ईस्ट इंडिया कम्पनी को उखाड़ फेंकने के बाद भारत के क्रांति वीरों ने लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया जो छोटी – छोटी मुद्दों पर राजा महाराजा जो लड़ रहे थे उनको एकत्र करने का दौर शुरू हो गया और देखते हीं देखते अंग्रेज के खिलाफ़ पूरा भारत एक हो गया। आजादी के लिए लोगों का रास्ता जरूर अलग थी लेकिन मंजिल एक वो थी आजादी.
इसी दौरान कई तरह की समितियां बनाई गई और लोगों को उससे जोड़ा गया उन्हीं में एक थे दादा भाई नौरोजी जिन्होंने 1867 ई० में ईस्ट इंडिया एसोसिशन की स्थापना किया। 1876 ई० में सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने इंडियन नेशनल एसोसिशन की स्थापना किया जिनका काम था लोगों को एकत्र करना और अंग्रेजो के खिलाफ़ मजबूती के साथ लड़ना।
महात्मा गांधी ने अपने सरल स्वभाव से सविनय अवज्ञा आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिला दी थी और भगत सिंह, खुदी राम बोस, राजगुरु सुखदेव सिंह ने अपनी जिंदगी को त्याग कर देश के लिए फांसी पर चढ़ गए और इनके साथ – साथ देश के अनगिनत महापुरुषों ने अपनी खुशी को देश के लिए कुर्बान किया जिसके बाद देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल पाई।
भारत की स्वतंत्रता में महिलाओं का योगदान (15 August Story)
भारत की स्वतंत्रता में हमारी देश की माताओं,बहनों और बेटियों के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है देश की आज़ादी के लिए जितने भी बलिदान हुए उनमें किसी का बेटा तो किसी का भाई तो किसी ने पिता को त्याग की थी।
आज़ादी में अंग्रजों को दांत खट्टे करने वाली देश की बेटी रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने अंग्रेजों से सीधे लोहा लिया और खुद भी वीर गति को प्राप्त हो गई। सरोजनी नायड,सिस्टर निवेदिता, श्रीमती एनी बेसेंट, और मातंगिनी हजारा इनके योगदान भी स्मरणीय है।
इसे जरूर पढ़ें 👉Niraj Chopra Athletic 🏅 Biography In Hindi
Attitude Status 15 August देशभक्ति Hindi Shayri
Attitude Status 15 August देशभक्ति Hindi Shayri Qoutes कुछ निम्न हैं…
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की मान का है,
हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को,
ऐसा नशा ही कुछ हिंदुस्तान की शान का हैं।
दे सलामी इस तिरंगे को,
जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना,
इसका जब तक दिल में जान हैं
कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना कभी,
तपती धूप में जल कर देख लेना कैसे होती हैं,
हिफाजत देश की कभी सरहद पर जा के देख लेना।
स्वतंत्रता दिवस 2021 की शुभकामनाएं।
ये अगस्त ही वो महीना है तो आजादी की याद दिलाता है,
उन देशभक्तों की याद दिलाता है,
जो देश के लिए घर परिवार सब छोड़कर बलिदान हो गये
जय हिन्द🇮🇳
वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमे देशभक्ति ना हो।
और वो मौत ही क्या जो तिरंगे में ना लिपटी हो।
मैं हनुमान हूँ इसका ये मेरे श्री राम हैं,
छाती चीरकर देख लो अंदर बैठा हिंदुस्तान है |
इसी तरह के देश भक्ति (15 August 2021) हिंदी शायरी और पूर्व में घटित घटनाओं को कहानी के माध्यम से जानने के लिए आप हमारे Web Page को लाल वाली घंटी बजाकर सब्सक्राइब जरूर करें और आपको कहानी अच्छी लगी हो तो plz आप Facebook WhatsApp पर जरूर शेयर करें।
Comments are closed.