Krishan Janmastami 2021 हिन्दुस्तान में हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्व त्यौहार में आदि काल से मनाया जाता रहा है कृष्ण जन्मोत्सव बहुत हीं धूम धाम से और सच्ची निष्ठा से मनाया जाता है तो आइए जानते हैं Krishan Janmastami 2021 कब है और क्यूं मनाया जाता है…
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कृष्ण जन्माष्टमी कब और कैसे शुरू हुआ ? Krishan Janmashtami History
योगेश्वर कृष्ण के भगवद्गीता के उपदेश के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी अनादि काल से मनाया जाता रहा है। कंस जो की मथुरा का चंद्रवंशी यादव राजा था और उसकी एक बहन थी जिनका नाम देवकी था। कंस को असुरों की श्रेणी में गिनती होती थी उसे एक श्राप दिया गया था की तुम्हारी बहन का जो पुत्र होगा वही तुम्हारा वध करेगा। (Krishan Janmastami 2021)
तब से इसने अपनी बहन को अपने नजरों के सामने ही रखा जब कंस देवकी की शादी अपने ही राज्य के व्यक्ति जिनका नाम वासुदेव था उनसे शादी कर दिया और देवकी और वसुदेव को घर भेजने के बजाए दोनों लोग को कारागार (जेल) में डाल दिया ताकि जब भी बच्चा होगा उसे मार देंगे जिससे मेरा कोई वध नहीं कर पाएगा और हुआ ऐसा हीं। जब भी देवकी और वसुदेव जी का कोई सन्तान पैदा होता उसे उसी क्षण कंस द्वारा मार दिया जाता ऐसे करते हुए देवकी और वसुदेव जी के सात संतानों को मार दिया। रक्षाबंधन की शुरुवात किसने की थी जाने
देवकी और वसुदेव जी का आठवां और अंतिम पुत्र भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रात्रि करीब 12 बजे जन्म लिया जन्म लेते ही एक आकाशवाणी हुई की ये बच्चा कोई साधारण बच्चा नहीं बल्कि स्वयं नारायण का रूप है और इसे गोकुल के यशोदा और नंद के यहां पहुंचा दो और वहां उन दोनों की बच्ची जन्म ली है जिसको यहां लेकर आ जाओ। आकाशवाणी सुनने के बाद वासुदेव जी ने ऐसा हीं किया और यमुना नदी को पार करने के बाद नंद के यहां अपने बच्चे को छोड़ आए और उनकी बच्ची को कारागार लेकर आ गए।
उसके बाद श्री कृष्ण ने गोकुल में रहते हुए बहुत से बाल लीलाएं की और धीरे धीरे जो लोगों को रक्षसों से प्रताड़ित थे उन्हें बचाने का काम किया। बाद में गोकुल से नंद गांव आए वहां भी अपने कलाओं से लोगों का मन मोह लिया और वहां जो भी आपदा आई उसे दूर कर दिया। फिर मथुरा आकार कंस द्वारा जो आतंक फैलाया गया था उसे समाप्त किए और कंस का वध किए।
इसके बाद लोगों को ये समझ आ गया था की ये साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि किसी देवता का अवतार हैं तब से ही हर साल हिंदू वर्ष के भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग रात 12 बजे तक उपवास रहते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं इस दिन श्री कृष्ण द्वारा जो बाल लीलाएं की गई थी उसे नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है और लोगों का मनोरंजन किया जाता है।
Krishan Janmastmi 2021 कृष्ण जन्माष्टमी करने के उद्देश्य
कृष्ण जन्माष्टमी करने का उद्देश्य है की जो व्यक्ति भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण की उपासना और सच्चे दिल से उनकी भक्ति करता है उसे जिंदगी में कभी किसी चीज की शिकायत नहीं होती है बताया जाता है की जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को आयु, कृति, यश लाभ इसी जन्म में होती और अंत में मोक्ष की भी प्राप्ति होती है ।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि (Krishan Janmastmi 2021)
जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी की उपासना करते हैं उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी के पहले रात्रि को हल्का भोजन करना चाहिए और अगले दिन जिस दिन उपवास करनी है उस दिन प्रातः काल में अपना नित्य कर्म करने के बाद जब पूजा की शुभ मुहूर्त हों उस समय से श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होते हुए सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठ जाना चाहिए। इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें…
ममाखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
अब मध्याह्न काल में काले तिल और जल से स्नान कर सूतिकागृह धारण कर श्री कृष्ण जी की मूर्ति या चित्र जिसमें श्री कृष्ण अपनी माता देवकी जीके साथ उनकी गोदी में हों वो स्थापना करें। तत्पश्चात पूजन शुरू करें और पूजन में देवकी वासुदेव बलदेव यशोदा नंद और लक्ष्मी जी को याद करते हुए पूजा करनी है। और मंत्र का उच्चारण करते हुए पुष्प अर्पित करें प्रणामे देव जननी त्वया जातस्तु वामन:।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः। सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तु ते।’
इसके बाद प्रसाद वितरण कर रात्रि में जागरण करें।
Krishan Janmastmi 2021 कब है और महत्त्वपूर्ण बिंदु
Krishan Janmastmi 2021 30 August को मनाया जाएगा कृष्ण जन्माष्टमी के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु हैं जिनको चार्ट के माध्यम से जानते हैं..
आधिकारिक नाम | कृष्ण जन्माष्टमी |
मानने वाले | मुख्य रूप से हिंदू और नेपाली |
धर्म | हिंदू |
उद्देश्य | श्री कृष्ण के उद्देश्य को याद रखना |
उत्सव | भजन कीर्तन, प्रसाद वितरण |
अनुष्ठान | उपासना, झांकी सजाना, पूजन करना |
आरंभ | अति प्राचीन काल |
2021 में | 30 August |
निवास स्थान | वृंदावन, गोकुल, द्वारिका, वैकुंठ |
अस्त्र | सुदर्शन चक्र |
युद्ध क्षेत्र | कुरुक्षेत्र |
माता-पिता | देवकी – वासुदेव (जन्म देने वाले) यशोदा- नंद बाबा (पलने वाले) |
भाई-बहन | बलराम व सुभद्रा |
जीवन साथी | राधा, रुक्मिणी, सत्यभामा, जम्बवंती, नग्नजिती, कालिंदी, लक्षणा, भद्रा आदि |
शास्त्र | भागवत पुराण, विष्णु पुराण, महाभारत, गीत गोविंद, हरिवंश |
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