Manipur Violence Story: 60 दिनों से चल रहे घरेलू हिंसा की कहानी

इस कहानी में Manipur Violence Story बताऊंगा एक छोटी सी बात को लेकर लोग अपनों को हीं मार रहें हैं तो आइए जानते हैं मणिपुर की पूरी कहानी..

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Manipur Violence Story

Manipur Violence Story
Manipur Violence

मणिपुर में पिछले कई हफ्तों से मणिपुर में हालात तनावपूर्ण बना हुआ है और गाहे-बगाहे हिंसक वारदात होती रही है जिनमें अब तक लगभग 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके है वहीं सकड़ों लोग घर से बेघर हो गए हैं। देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर कई बड़े बड़े नेता मणिपुर की दौरा कर चुके हैं ताकि शांति कायम हो सक।

लेकिन कोई किसी को नहीं सुनने को तैयार हीं नहीं है हम सब को यह जानना जरूरी है की ऐसा क्या हुआ जिसके वजह से पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य मणिपुर में अचानक ऐसा क्या हुआ जो एक दूसरे के जान के दुश्मन बन गए तो देखिए राज्य की भगोलिक स्थिति कुछ अलग है जिसके कारण लोगों को ज्यादा परेशानी होती है।

मणिपुर राज्य एक फुटबॉल स्टेडियम की तरह है जिसके बीच में इंफाल घाटी है। इस घाटी में बसती है। मेईती जाति वाले समुदाय की 64% आबादी लेकिन हैरानी की बात ये है कि ये हिस्सा पूरे राज्य के सिर्फ 10 % पर ही बसता है। दूसरी तरफ घाटी के चारो तरफ है पहाड़ियां जो कि राज्य का 90% भौगोलिक क्षेत्र है जिसमें रहती है 35% जनजातियों का दर्जा हासिल किए हुए समुदाय में जिसमें कुकी और नागा जैसी जातियां शामिल है। यानि कि 64% आबादी 10% हिस्से में रहती है और 35% आबादी राज्य के 90 % इलाके में बसी हुई हैं।

  अब मेइती समुदाय के लोग है वो चाहते हैं की हमें भी रहने के लिए और जमीन चाहिए जो बिल्कुल जायज बात है लेकिन जो दूसरे समुदाय के लोग हैं वो जमीन छोड़ने को तैयार हीं नहीं है इसी कारण मेइती समुदाय के लोग माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पास गए जिसके बाद मामला अदालत का हो गया. अब अदालत ने इसपर सुनवाई करते हुए अपना आदेश 27 अप्रैल 2023 को दिया जिसके बाद लोग प्रदर्शन करने लगें.

Manipur Conflict Reason

 ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (मणिपुर) द्वारा एक रैली का आयोजन 3 मई 2023 को किया गया जिसका मुद्दा था जो उच्च न्यायालय मणिपुर द्वारा जो आदेश आया उसका विरोध करना था, जिसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने का आदेश दिया गया था.


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उसी मुद्दा को लेकर धीरे धीरे प्रदर्शन तेज हो गए और इसके बाद दूसरे समुदाय के मेइती समुदाय के लोग भी अपनी मांग को लेकर रोड पर आ गए और देखते हीं देखते दोनों गुट में हिंसक झड़प शुरू हो गई और हालत ये हुई की आप दो महीने बाद भी मणिपुर बदले की आग में जल रहा है।

अदालत के फ़ैसले का विरोध क्यों कर रहे ? (Manipur Violence Story)

भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पहाड़ी और घाटी के इलाक़ों में बंटा हुआ है. पहाड़ी इलाक़ों में नागा, कुकी और मिज़ो जनजाति की आबादी ज़्यादा है, और घाटी में मैतेई समुदाय के लोगों की तादाद बड़ी है. मणिपुर को पहाड़ी इलाक़े वाला राज्य माना जाता है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में घाटी के मुक़ाबले बहुत कम आबादी रहती है.

मैतेई हमेशा से मांग करते रहे हैं कि उन्हें अनुसूचित जनजातियों में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन नागा और कुकी समुदाय को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो उनका हक़ छिन जाएगा, क्योंकि राज्य में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी मैतेई समुदाय की ही है।

 

मणिपुर हिंसा के कारण क्या है ?

मणिपुर हिंसा के मुख्य कारण यह है की जिस समुदाय का आबादी ज्यादा है उसे कम और पहाड़ी इलाके में रहने के लिए बेबस हैं और जिसकी आबादी ज्यादा है उन्हें वो हर सुविधा उपलध है या यूं कहें तो कोई भी कार्य करने की पूर्ण आजादी है. इसी वजह से यहां के लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जो बाद में हिंसा में तब्दील हो गया.

मणिपुर हिंसा का जिम्मेदार कौन है ?

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खिलाफ एक कड़े आरोप में, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (NFIW) ने शनिवार को राज्य में हो रही हिंसा के लिए पूरी तरह से मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया और इसे “राज्य प्रायोजित हिंसा” करार दिया।

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