Eid Al Adha Story In Hindi है इस्लाम धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक है ईद उल फितर के समाप्ती के लगभग 2 महीने बाद आता है। इस दिन इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं और ईश्वर को याद करते हुए एक दूसरे को बधाई देते हैं। इसके कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिसका जबाब देने की कोशिश करता हूं…..
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Eid Al Adha कब शुरू हुआ ? or बकरीद का इतिहास क्या है?
Eid Al Adha (बकरीद) की शुरुवात बहुत पहले हुआ था धार्मिक ग्रंथों द्वारा बताया जाता है की इसकी शुरुवात हजरत इब्राहिम से शुरू हुई और हजरत इब्राहिम को अल्लाह के फरिश्ता माना जाता है और इनकी इबादत पैगम्बर की तरह की जाती है। इस्लामिक धर्म ग्रंथ के मुताबिक एक बार अल्लाह ने इम्तिहान लेने के लिए हजरत इब्राहिम को आदेश दिया की तुम्हे अपनी सबसे अजीज चीज को मेरे लिए कुर्बान करना होगा।तभी मैं मानूंगा की तुम्हें मुझसे कितना लगाव है।
हजरत इब्राहिम ने अपने आप को साबित करने के लिए उनके दिल की सबसे करीब चीज उनका बेटा था जिसे अब कुर्बान करना था तो उन्होंने अपने आंख पर पट्टी बांधी और अपने बेटे के गर्दन पर चाकू रखा वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने उनके बेटे की जगह एक मेमना को रख दिया और उसकी कुर्बानी दे दी गई।
इसके बाद जिब्रील अमीन ने उससे बोला की तुम्हारी कुर्बानी कबूल कर ली गई है तब से हीं एक बकरे या मेमना की कुर्बानी खुदा के लिए की जाने लगी। इस धार्मिक प्रकिया को फर्ज ए कुर्बान भी कहा जाता है।
Eid Al Adha 2021 (बकरीद) कैसे मानते हैं ?
इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग ईद उल जुहा के दिन सुबह उठने के बाद क्रिया कर्म करने के बाद लोग नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जाते हैं और वहां अल्लाह को याद करते हुए नमाज अदा करते हैं इसके बाद घर आते हैं और एक बकरे को खुदा को याद करते हुए उसको जब्बह या कुर्बानी दे देते हैं।
उसके बाद उसके मांस या गोस्त को तीन भागों में बांटते हैं पहला हिस्सा गरीब लोगों को दिया जाता है, दूसरा हिस्सा अपने रिश्तेदारों को और तीसरा हिस्सा खुद के लिए रखा जाता है।
Eid Al Adha या बकरीद से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
- बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी एक प्रतीकात्मक कुर्बानी होती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर किसी को इस मौके पर बकरे की कुर्बानी देनी ही होती है। इंसानियत के नाते आप अपना समय और धन भी कुर्बान कर सकते हैं।
- कुरान में कहा गया है कि अल्लाह के पास हड्डियां, मांस और खून नहीं पहुंचता है। बल्कि पहुंचती है तो खुशी यानी देने का जज्बा। इसलिए बकरीद में बकरे की कुर्बानी महज आपकी कुर्बानी का प्रतीक मात्र है।
- Eid Al Adha के मौके पर कोई ऐसे मेमना या बकरे की कुर्बानी नहीं देनी होती है जिनका कोई अंग काटा छटा हो उसे जब्बह नहीं किया जाता है बल्कि सही सलामत बीमार न हो उसे कुर्बानी दी जाती है और एक वर्ष या उससे अधिक का होना चाहिए।
- फुका में कुर्बानी का एक बड़ा नियम यह है कि जिनके पास 613 से 614 ग्राम चांदी हो यानी आज के हिसाब से इतनी चांदी की कीमत के बराबर जिनके पास धन हो उस पर कुर्बानी फर्ज है यानी उसे कुर्बानी देनी चाहिए।
- अगर कोई व्यक्ति कुरान के नियमानुसार अपनी कमाई का ढ़ाई प्रतिशत दान देता है इसके बाद सामाजिक कार्यों में अपना धन कुर्बान करता है तो यह जरुरी नहीं है कि वह बकरे की कुर्बानी दे।
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Eid al-Adha 2022 Wishes in Hindi
सुबह-सुबह उठ के हो जाओ फ्रेश,पहन लो आज सबसे अच्छी ड्रेस,
दोस्तों के साथ अब चलो घूमने,ईद मुबारक करो सबको जो आए सामने. Happy Bakrid
हवा को खुशबू मुबारक,फिज़ा को मौसम मुबारक,
दिलों को प्यार मुबारक,आपको हमारी तरफ से बकरीद मुबारक. Eid al-Adha 2022
तमन्ना आपकी सब पूरी हो जाए,हो आपका मुकद्दर इतना रोशन की,
आमीन कहने से पहले ही आपकी हर दुआ कबूल हो जाए।।
बकरीद मुबारकईद लेकर आती है ढेर सारी खुशियां,
ईद मिटा देती है इंसान में दूरियां, ईद है खुदा का एक नायाम तबारोक, इसीलिए कहते है ईद मुबारक।।
सदा हंसते रहो जैसे हंसते हैं फूल,दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल,
चारों तरफ फैलाओ खुशियों के गीत,इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो बकरीद!!
अल्लाह की रहमत सदा आपके परिवार पर बरसे,
हर गम आपके परिवार से दूर रहे। बकरा ईद की मुबारकबाद.
बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी पर लोगों से अपील
बकरीद के मौके पर एक नौजवान ने बहुत ही खूबसूरत संदेश दिया है। लोगों से इस नौजवान ने अपील किया है की जानवरों को कुर्बानी नहीं दिया जाए बल्कि Green Eid Al Adha मानने की अपील किया है।
Eid Al Adha 2022 में कब मनाई जाएगी ?
Eid Al Adha 2022 में 10 जुलाई को पूरे देश विदेश में मनाई जाएगी।
Eid Al Adha बकरीद किसकी याद में मनाई जाती है ?
Eid Al Adha मुस्लिम समाज के इष्ट सामान हजरत इब्राहीम के त्याग को दर्शाता है और उन्हीं के याद में बकरीद मनाई जाती है।
अपना विचार
मेरा मानना है की कोई भी फरियाद ईश्वर या खुदा से जब हम सब करते हैं तो अपनी खुशी के लिए करते हैं और अपनी खुशी किसी की बलि या कुर्बानी देकर या किसी की आत्मा को दुखित कर नहीं मिल सकती है इसलिए किसी भी जीव जंतु हो उसकी कुर्बानी देनी सही नहीं है।
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