आज आप सब को Panjshir History in Afghanistan के बारे में बताने जा रहा हूं आज जिस तरह से तालिबान ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर अपना कब्जा किए हुए है लेकिन तालिबान अभी तक अफ़ग़ानिस्तान के 34 राज्यों में से एक राज्य जो अपना सुरक्षा करना भलीभांति जनता है उस पर आज तक विजय नहीं कर पाया है तो आइए जानते हैं की ऐसा क्या है जो यहां तालिबान टिक नहीं पा रहा….
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Panjshir History in Afghanistan पंजशीर का इतिहास
अफ़ग़ानिस्तान घाटियों से भरा हुआ देश है और यहां के गावों की बात करें तो ज्यादातर छोटे छोटे घाटियों में बसे हुए हैं और यहां प्रकृति द्वारा अपार खनिज पदार्थों से सम्पन्न देश है जिसके लेकिन इसका दोहन या उपयोग सही तरीके से नहीं किया गया लोग अपने अपने तरीके से इसका उपयोग किया जिसके कारण इस देश का विकास सही मायनों में अभी तक नहीं हुआ। यहां आज भी बिजली, पानी, शिक्षा, रोजगार की कमी ही है। तालिबान के उदय कब और कैसे हुआ सम्पूर्ण इतिहास पढ़े
अफ़ग़ानिस्तान छोटे छोटे 34 राज्यों का एक देश है उन्हीं में से एक राज्य पंजशीर है जो काबुल से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसके चोरों और पहाड़ और नदी हैं जिससे इस इलाके की खूबसूरती बढ़ जाती है। बताया जाता है कि 10 वीं शताब्दी में पांच भाइयों ने बाढ़ को पानी को रोकने के लिए एक बांध बनया था जिसके कारण इस घाटी को पंजशेर की घाटी कहा जाता है पंजशेर का अर्थ होता है पांच सिंहों की घाटी। (Panjshir History in Afghanistan)
पंजशीर की इतिहास की बात करें तो जब सत्तर के दशक में सोवियत संघ ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा कर लिया थी उस समय भी सोवियत संघ ने पंजशीर पर फतह हासिल नहीं कर पाया था और लगातार गृह युद्ध होने के बाद भी ये इलाका एक जुट होकर अपनी और अपनों की रक्षा किया है। इस प्रांत की जनसंख्या की बात करें तो पंजशीर की कुल आबादी लगभग करीब डेढ़ लाख (150000) है यहां से कई नेता और प्रशासनिक सेवा में काम करने वाले लोग मिले हैं।
पंजशीर के लोगों को एक जुट रखने और उन्हें अपनी और अपनों की रक्षा करने के एक व्यक्ति ने बहुत मदद की वो हैं अहमद शाह मसूद जिन्होंने अपने जीवन काल में कभी किसी के सामने नहीं झुका और नहीं अपने क्षेत्र के लोगों को किसी विरोधी ताकत के सामने झुकने दिया। बताया जाता है की जब 1996 ई० में तालिबान ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को हटा दिया था और काबुल पर अपना कब्जा जमा लिया था उस समय भी पंजशीर पर तालिबान फतह नहीं कर पाया था जबकि उस समय पंजशीर की सेना का नेतृत्व अहमद शाह मसूद कर रहे थे। (Panjshir History in Afghanistan)
वर्ष 2001 में अमेरिका ने तालिबान को काबुल की सता से उखाड़ फेंका और वहां लोकतंत्रात्म सरकार की गठन किया उसी वर्ष तालिबान ने अहमद शाह मसूद को मौत की नींद सुला दिया तब उनके एक बेटे थे जिनका नाम शाह मसूद है वो उस समय बारह वर्ष के थे और आज जब बतीस वर्ष के हुए तब उन्हें अपने पिता की बनाई हुई इस इतिहास को बचाने की जिमेदरी उनके कंधों पर है।
Taliban Panjsher Fight (Panjshir History in Afghanistan) Ahmad Shah Massoud
अफ़ग़ानिस्तान पर जब 15 अगस्त 2021 को पूर्ण रूप से तालिबान कब्जा जमा लिया और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर भाग गए तो पूरे देश में उथल पुथल मच गई और वहां के लोग तालिबान के पुराने शासन को देख कर सभी लोग डरे हुए हैं जिसके वजह से किसी भी तरह से अफ़ग़ानिस्तान को छोड़कर किसी और देश में जाने की होड़ मच गई और आज भी यही स्थिति है।
लेकिन देश के नेतृत्व करने वालों में से एक व्यक्ति और थे जिनका नाम अमरुल्ला सालेह जो अफ़ग़ानिस्तान के उपराष्ट्रपति थे वो देश छोड़कर भागे नहीं बल्कि वो अपने राज्य और अब तक न गुलाम होने वाले घाटी पंजशीर चले गए। अफ़ग़ानिस्तान के नया राष्ट्रपति तालिबान का नेता का बायोडाटा पढ़े
अमरूल्ला सालेह जब पंजशीर गए तो वहां के मुखिया शाह मसूद के साथ बैठक किया और अपने सैनिकों को इक्ठा करना शुरू कर दिया और आज नतीजा ये हुआ की करीब दस हजार लड़ाकूयों की फौज जो अपने प्रांत और अपने परिवार की इज्जत को बचाने के लिए पंजशीर के सीमा पर तैनात हैं।
पंजशीर तालिबान गृह युद्ध (Panjshir History in Afghanistan) Panjshir Afghanistan
पंजशीर तालिबान का गृह युद्ध अहमद शाह मसूद तालिबान का शुरू से हीं कटर विरोधी रहे थेऔर इसी कटरपंतीके चलते आज तक तालिबान के सामने झुके नहीं और आज भी उनका बनाया हुआ साम्राज्य झुक नहीं रहा है बल्कि जंग करने की घोषणा के दिया है। पंजशीर और तालिबान की अब तक जितनी भी युद्ध हुई है सब में तालिबान को मुंह की खानी पड़ी है और हमेशा अपने साम्राज्य को बचाने में कामयाब अहमद शाह मसूद रहे हैं लेकिन इस बार इसकी जिम्मेदारी अहमद मसूद को है और पहले से ज्यादा ताकतवर होकर तालिबान उभरा है इसलिए इस बार क्या होगा ये कहना बहुत मुस्किल होगा।
बताया जा रहा है की पंजशीर के लड़ाकों ने तालिबान के लगभग 300 लड़ाकों को मार दिया और वहां के तालिबानी गवर्नर को भगा दिया गया है ये कितना सही है इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है।
ये देखना होगा की आखिर कब तक इस लड़ाई को लड़ जायेगा इस पूरे प्रकरण में वहां की मासूम जनता का जीवन तबाह हो गई है और सभी लोग सिर्फ अपना जीवन बचाने की कोशिश में लगे हैं। (Panjshir History in Afghanistan) Panjshir Afghanistan
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