ये कहानी उन पांच बहनों की है बेटी अपमान नहीं वरदान है जिन्होंने आज पूरे देश में अपने और अपने पिता का नाम रोशन किया है।
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रहमत खुद उतरती है आसमानों से। यकीन नहीं, तो इस घर की बेटियों को हीं देख लो।।
ये जो ऊपर जो लाइन लिखी गई है वो सटीक बैठती है इस घर की लक्ष्मी के उपर, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रावतसर तहसील के भैरुसरी गांव के रहने वाले सहदेव सहारण के यहां जन्मे 6 बच्चे जिसमें 1 लड़का और 5 लड़कियां की है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बाउजुद उन्होंने Rajsthan Civil Service Commission में अपना परचम लहराया है।
कक्षा 5 वीं के बाद स्कूल नहीं गई (बेटी अपमान नहीं वरदान है)
भारुसरी गांव में सरकारी या गैर सरकारी विद्यालय सिर्फ प्राथमिक हीं हैं गांव शहर से दूर है तो शहर जान सके क्योंकि पिता एक गरीब किसान थे उनके पास इतने पैसे नहीं थे की 6 बच्चों को शहर भेज कर पढ़ाई करा सकें तो उन्होंने अपने 5 बच्चियों को प्राथमिक तक ही विद्यालय भेज सके। फिर बच्चियों ने घर पर रहकर 10th, 12th, Graduation और Post Graduation तक की पढ़ाई की इसके बाद Civil Services की तैयारी खुद हीं घर पर शुरू कर दी।
पांच बहनों का RAS में जलवा (बेटी अपमान नहीं वरदान है)
मेहनत करने वालों को कभी किस्मत धोखा नहीं देती चाहे वो कोई सा भी क्षेत्र हो जिस तरह में आप हो और उस क्षेत्र में आप बिना किसी संकोच के परिश्रम करते हैं तो आपको एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। इसका जीता जागता उदाहरण RAS-2018 की परिणाम घोषित होने के बाद मिला।
RAS-2018 के परिणाम आने के बाद एक साथ एक हीं घर की तीन बहनों अंशु, ऋतु व सुमन ने क्रमश: 31, 96 व 98 रैंक लाकर घर ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है। अनचाही बेटी (Unwanted Daughter) की मार्मिक कहानी
वहीं दो बहनें मंजू और रोमा पहले से ही RAS के अधिकारी पदस्थापित हैं। RAS-2018 में सहदेव सहारण के एक दामाद का भी चयन हुआ है जो सीकर जिले के रहने वाले हैं।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता (बेटी अपमान नहीं वरदान है)
पांच बहनों में एक जो बड़ी बहन मंजु सहारण Co-Oprative बैंक नोहर में पोस्टेड हैं उनका सिलेक्शन RAS-2012 में हुआ था और दूसरी बहन रोमा सहारण झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ तहसील में BDO के पद पर कार्यरत हैं।
बाकी तीन बहनों का चयन RAS-2018 में दूसरे प्रयास में हुआ । इन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया।
इसलिए मेरा मानना है की बेटियां बोझ नहीं हैं बल्कि बेटियां हैं तो हम सब हैं । उन्हें अच्छे संस्कार के साथ आगे बढ़ने में सहयोग करें।
बेटी,बहू कभी मां बनकर,सबके ही सुख-दुख को सहकर, अपने सब फर्ज निभाती है,तभी तो वो नारी कहलाती है।
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