ये कहानी बिहार के औरंगाबाद जिले की बारुण प्रखंड की है जहां एक दलित गरीब परिवार का लड़का BPSC Passed Birender Kumar जिसकी प्रस्थितियां अनुकूल नहीं थी लेकिन इसके बाउजूद उसने आपने आप को सशक्त बनाया और Bihar Public Service Commission को क्रैक किया. आज मैं उसी की कहानी सुनाने जा रहा हूं..
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BPSC Passed Birender Kumar के माथे से माता-पिता की साया उठ गया
सपने और लक्ष्य में एक ही अंतर है
सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए
और लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत.
बीरेंद्र कुमार औरंगाबाद जिले के बारुण प्रखंड में एक छोटे से गांव हाथीखाप के रहने वाले हैं बीरेंद्र कुमार की माता जी का देहांत पहले ही हो चुकी थी पिता जिनका नाम बिखमारी राम था जो अपने गांव में ही जूता सीलने का काम करते थे और उसी से किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण करते थे पिता बीमार रहने के वजह से वर्ष 2012 में उनकी मृत्यु हो गई जिससे घर की आर्थिक स्थिति और भी दयनीय हो गई. किसी भी तरह दो वक्त की रोटी नसीब होती जैसे तैसे दिन काट रहे थे.
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BPSC Passed Birender Kumar ने अंडे की दुकान खोली
जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते है
वो समुन्द्रों पर भी पत्थरो के पुल बना देते है
पिता की मृत्यु के बाद बीरेंद्र को ऐसा लगा की पढ़ाई नहीं हो पाएगी क्यूंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी तब उनके बड़े भाई जितेंद्र कुमार गांव छोड़ कर शहर की ओर किराए पर एक घर लिया और खुद सिजनली काम करने लगे कभी सब्जी बेचना,कभी खिलौना आदि काम कर घर का काम काज चला रहे थे तभी बीरेंद्र ने भी एक भाड़े की गुमटी में अंडे की दुकान खोली और अंडा बेचने लगे.
दिन में अंडा बेचते और रात में पढ़ाई करते इसी तरह कुछ दिन चला कुछ स्थिति में सुधार हुई तो उनके बड़े भाई ने एक छोटा बैग की दुकान खोली और बीरेंद्र से अंडे की दुकान बंद करवा दी और पूरा फोकस पढ़ाई पर लगाने को कहा जिसका परिणाम ये है की BPSC 64 वें परीक्षा में सफल हुए.
प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी बने BPSC Passed Birender Kumar
दुनिया में सबसे कीमती गहना इंसान का परिश्रम होता है और,
जिंदगी में इंसान का सच्चा साथी उसका आत्मविश्वास होता है.
बीरेंद्र कुमार का BPSC 64 वें में रैंक 2232 आया है जो की फिलहाल वे प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के पद को सुशोभित करेंगे।
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मेहनत का फल हमेशा मीठा ही होता है