नमस्कार दोस्तों,
आप सब को एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा हूं जिनके नाम Ramvilas Paswan पर ऐसे रिकॉर्ड हैं जो शायद ही कोई तोड़ सके। देश की राजनीति में बहुत से राजनेता आए और चले गए.
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लेकिन एक ऐसा व्यक्ति जो देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपना नाम कमाए जिन्होंने अपने दम पर बहुतेरे ऐसे काम किए जो शायद ही कोई कर पाए। आज हम सब स्व० श्री Ramvilas Paswan जी के बारे में उनकी जीवनी कोई कहानी के माध्यम से जानेंगे।
स्व० श्री Ramvilas Paswan जी का जन्म 05 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शरबन्नी गांव में एक अनुसूचित दलित गरीब परिवार स्व० श्री जामुन पासवान और स्व० श्रीमती सिया देवी के घर हुआ था श्री पासवान दो सगे भाई थे श्री रामविलास पासवान और श्री रामचंद्र पासवान थे जो की दोनों भाई राजनीति में सक्रिय रहें।
Ramvilas Paswan जी की व्यक्तिगत जीवन
स्व० श्री रामविलास पासवान जी की व्यक्तिगत जीवन भी बहुत दिलचस्प रहा श्री पासवान जी ने दो शादियां की पहली शादी घर वालों ने जब वो 14 वर्ष के थे तभी श्रीमती राजकुमारी देवी से कराई थी जिनसे दो लड़की आशा पासवान और उषा पासवान हुई,
और इन्होंने दूसरी शादी 1981ई० में पहली पत्नी को तलाक देने के बाद 1983 ई० में पंजाब के अमृतसर की रहने वाली एयरहोस्टेस रीना शर्मा से प्रेम विवाह किया और इनसे भी एक लड़का और एक लड़की हुए। लड़कियों की शादी कर चुके हैं और लड़का श्री चिराग पासवान जो की जमुई लोक सभा क्षेत्र से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
श्री Ramvilas Paswan की राजनीतिक जीवन
श्री Ramvilas Paswan की राजनीतिक जीवन संघर्षपूर्ण रहा है श्री पासवान बहुत ही गरीब परिवार से आते थे खगड़िया के सरकारी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के बाद पटना चले गए और उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से कानून से स्नातक किए और मास्टर की डिग्री भी हासिल की।श्री पासवान जब से पटना आए तभी से राजनीति करने करने लगे थे.
वो अपने कॉलेज के चुनाव में भी भाग लेने लगे थे इसी क्रम में इनकी पुलिस में नौकरी भी लग गई थी लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जयप्रकाश नारायण जी की सामाजवादी आंदोलन में खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। रामविलास पासवान की राजनीतिक सफर के निम्न बिंदु हैं…..
- वर्ष 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर बिहार विधान सभा पहुंचे
- उसके बाद 1974 लोक दल से जुड़ गए और महासचिव बने।
- श्री पासवान 1975 में जब देश में आपातकाल लगाया गया था जिसके विरोध प्रदर्शन में जेल भी गए थे।
- श्री पासवान जी पहली बार 1977 हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी के टिकट पर विश्व रिकॉर्ड वोट से जीत दर्ज कर दिल्ली पहुंचे
- इसके बाद 1980 में दुबारा यहीं से चुनाव लड़ी और जीत दर्ज किए।
- नवीं लोकसभा चुनाव के बाद श्री पासवान तीन बार सांसद बन गए तब पहली बार 1989 ई० में वीपी सिंह जी की कैबिनेट में मंत्री पद मिला।
- दसवीं लोक सभा में कांग्रेस के अशोक कुमार को 2,60,484 वोट से हराया और व्यवसाय सलाहकार समिति के सदस्य बनें।
- 11वीं लोक सभा में जीत दर्ज की और 1996 से 1998 तक रेल मंत्री के रूप में काम किया इसके बाद व्यवसाय सलाहकार समिति के सदस्य बनें।
- 12 वीं लोक सभा चुनाव में जीत दर्ज करते हुए रेल मंत्रालय और गृह मंत्रालय में सदस्य के रूप में काम किए।
- 13 वीं लोक सभा चुनाव में फिर से चुने गए और इस बार इन्हे बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली 13 अक्टूबर 1999 से 1 सितंबर 2001 तक संचार मंत्री बनाए गए। इसके बाद 01 सितंबर 2001 से 29 अप्रैल तक कोयला व खनन मंत्री रहें।
- 14 वीं लोक सभा चुनाव में 23 मई 2004 से 22 मई 2009 तक इस्पात मंत्री बनें।
- 15 वीं लोक सभा चुनाव में चुनाव हार गए लेकिन 2010 में उन्हें राज्य सभा सदस्य चुना गया और 2010 से 2014 तक उन्होंने कानून,कार्मिक विभाग जैसे समिति के सदस्य रहे।
- 16 वीं लोक सभा चुनाव 2014 में फिर हाजीपुर से सांसद निर्वाचित हुए और खाद्य व उपभोक्ता मंत्री बनाए गए।
- 17 वीं लोक सभा चुनाव 2019 में राज्यसभा सांसद चुने गए और खाद्य व उपभोक्ता मंत्री बनाए गए।
श्री Ramvilas Paswan 52 वर्ष की राजनीतिक जीवन में 13 चुनाव लड़े जिसमे से 11 चुनाव जीते चुके हैं जिसमें 9 बार लोक सभा सांसद और 2 बार राज्यसभा सदस्य और 1 बार विधायक रह चुके हैं।
श्री पासवान के पास 6 प्रधानमंत्री के साथ काम करने का एक अनूठा रिकॉर्ड है जो शायद ही कोई तोड़ पाए।
१.वी.पी.सिंह
२.एचडी देवेगौड़ा
३.इंद्र कुमार गुजराल
४.अटल बिहारी वाजपेयी
५.मनमोहन सिंह
६.नरेन्द्र मोदी
मैं उस घर में दिया जलाने चला हूं जिस घर में सदियों से अंधेरा है
श्री रामविलास पासवान
बिहार की राजनीति में Ramvilas Paswan की भूमिका
श्री पासवान ने वर्ष 2000 में अपनी पार्टी बनाने का निर्णय लिया और लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना किया तब से सभी चुनाव में आपने पार्टी के तहत ही राजनीति की। पार्टी द्वारा फरवरी 2005 में जब चुनाव 178 लडा गया था उसमें से 29 सीट जीत दर्ज की थी और एक अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री के कहा जिसका समर्थन श्री लालू प्रसाद यादव और श्री नीतीश कुमार नहीं किए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.
इसके बाद अक्टूबर 2005 में पुनः चुनाव हुए लेकिन इस बार मात्र 10 सीट ही जीत सके और श्री नीतीश कुमार NDA समर्थित सरकार बन गई। तब से अभी तक पार्टी ज्यादा छाप नहीं छोड़ पाई है।
2020 बिहार विधान सभा चुनाव में पार्टी ने अपने मूल्यों और सिद्धांतों का हवाला देते हुए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लडा लेकिन कुछ ज्यादा नही कर सके और मात्र 1 सीट हीं चुनाव जीत पाए।
श्री रामविलास पासवान जी का निधन
श्री रामविलास पासवान जी की तबियत ज्यादा खराब रह रही थी तो दिल्ली की Aiims Hospital में एडमिट कराया गया था लेकिन वो ठीक नही सके और उनकी 8 अक्टूबर 2020 की मृत्यु हो गई।
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श्री पासवान एक जिंदा दिल इंसान थे
श्री पासवान जी एक जिंदा दिल इंसान थे कहा जाता है की बाबा डॉ० भीम राव अंबेडकर जी और श्री कांशी राम जी के बाद कोई दलितों का नेता बना तो श्री रामविलास पासवान हीं बने। वो जातिवाद और धर्मवाद से उपर उठकर राजनीति किए और सफल भी हुए इसीलिए उन्हें एक जाति विशेष नही बल्कि सभी जाति और धर्म के नेता थे।
जब देश को मिला था दलित राष्ट्रपति
श्री पासवान एक दृढ़ संकल्प वाले नेता थे वो जो निश्चय कर लिए वो करके ही रहते थे एक बार की बात है की किसी समस्या को लेकर सांसदो की एक शिष्ट मंडल तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से मिलने पहुंचा था जिसका हिस्सा श्री Ramvilas Paswan भी थे लेकिन घंटो इंतजार के बाद भी राष्ट्रपति नही मिले.
उसी समय इन्होंने कसम खाई की अब मैं उसी दिन राष्ट्रपति भवन आऊंगा जिस दिन कोई दलित देश का राष्ट्रपति हो,इनके बदलौत ही देश को पहला दलित राष्ट्रपति मिला साल 1996 में वामदल और यूनाइटेड फ्रंट ने मिलकर सरकार बनाई और एक दलित राष्ट्रपति के० आर० नारायणन के रूप में मिला।
जब दलित के घर जाने को मजबूर हुए उच्ची जात वाले
ऐसे बहुतेरे किस्से हैं उन्ही में से एक किस्सा ये भी है की श्री पासवान अपने क्षेत्र में भ्रमण पर थे तभी डोम जाति की छोटी सी बस्ती थी वहां के कुछ लोगों ने पासवान की काफिला को रोका और अपनी समस्या बताई की गांव के लोग उन्हें पानी नहीं कुएं से भरने देते हैं.
इतना सुनते ही श्री पासवान गुस्सा हो गए और तुरंत आदेश दिया की एक व्यक्ति के यहां टेलीफोन और सार्वजनिक चापाकल लगाई जाए और तुरंत लगा भी दिया गया अब टेलीफोन के वजह से जो उच्ची जाति के लोग उसे पानी नहीं देते वो अब उसके यहां फोन करने आने लगा, ऐसे थे स्व० श्री रामविलास पासवान ।
रामविलास पासवान जी का पहली वरखी मनाई गई
स्व० रामविलास पासवान जी का पहली वरखी आज पटना मे मनाई जा रही है इनके बेटे श्री चिराग पासवान जो की लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद हैं उन्होंने देश और राज्य के गण्यमान्य राजनेतायों को खुद जा कर निमंत्रण दिए और श्रद्धांजलि सभा मे आने के लिए आग्रह किया इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री और रामविलास जी के घनिष्ट मित्र श्री नरेंद्र मोदी जी ने श्री चिराग को पत्र लिखकर उन्हें याद किया और चिराग से फोन पर बात भी किये।
इस मौके पर बिहार विधान सभा के विपक्ष दल के नेता श्री तेजस्वी यादव, हम पार्टी के मुखिया जितन राम मांझी, वीआईपी पार्टी के अध्यकक्ष मुकेश साहनी और बिहार के उप मुख्यमंत्री श्रीमती रेनू देवी जी भी श्री स्व० पासवान को श्रद्धांजलि देने आए हैं।
Ramvilas Paswan जी की पहली पुण्यतिथि (1st Death Anniversary)
देश के सबसे बड़े दलित राजनेता के तौर पर स्व० श्री रामविलास पासवान जी का नाम सबसे ऊपर है उन्होंने अपने जीवन के 52 वर्ष तक देश की सक्रिय राजनीति में रहे और अपनी भागीदारी को प्रमुखता से प्रदर्शित किया। पिछले वर्ष 2020 में 08 अक्टूबर को श्री पासवान जी की बिमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई आज उनकी पहली पुण्यतिथि मनाई जा रही है देश के हर वो व्यक्ति जो उन्हें पसंद करता था या नहीं करता था सभी लोग ऐसे महान व्यक्ति को याद कर रहा है।
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