आज की कहानी Israel Attack Story पर है जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग की जाने चली गई आइए जानते हैं पूरी कहानी..
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Israel Attack Story In Hindi
आतंकवादी संगठन हमास ने इजराइल पर आसमान,धरती और समुद्र तीनों ओर से आक्रमण कर दिया तेज गलगड़ाहट से जो लोग सो रहे थे वो जग गए और पूरे इजराइल में अफरा तफरी मच गई।
हमास ने इज़रायल पर हमला क्यों किया? israel attack on gaza
हमास के प्रवक्ता खालिद कादोमी ने अल जज़ीरा को बताया है कि समूह का सैन्य अभियान उन सभी अत्याचारों के जवाब में है जो फिलिस्तीनियों ने दशकों से झेले हैं. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय गाजा में, फिलिस्तीनी लोगों और अल-अक्सा जैसे हमारे पवित्र स्थलों के खिलाफ अत्याचार रोके. ये सभी चीजें इस लड़ाई को शुरू करने के पीछे का कारण हैं.”
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हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा कि ‘ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म’ शुरू करते हुए शनिवार तड़के इजराइल में 7,000 रॉकेट दागे गए. हमास के सैन्य नेता ने सभी फिलिस्तीनियों से इजरायल का ‘मुकाबला’ करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘हमने यह कहने का निर्णय लिया है कि अब बहुत हो गया.’ उन्होंने कहा, “यह पृथ्वी पर आखिरी कब्जे को खत्म करने के लिए सबसे बड़ी लड़ाई का दिन है.”
रिपोर्टों के अनुसार दीफ ने कहा, “जिस किसी के पास बंदूक है, उसे इसे निकाल लेना चाहिए क्योंकि समय आ गया है.” टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए एक बयान में हमास ने “वेस्ट बैंक में प्रतिरोध सेनानियों” के साथ-साथ “हमारे अरब और इस्लामी देशों” को लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया.
इजराइल और हमास की वर्षों से है दुश्मनी (Hamas Attack On israel)
इजरायल, हमास और फिलिस्तीन. इस लड़ाई में प्रमुख तौर पर यही तीन स्टेक होल्डर हैं. इजरायल और अरब देशों की अदावत पुरानी है.साल 1948 में जब इजरायल बना तभी से अरब देशों की इजरायल से बनती नहीं थी. जिसका नतीजा ये हुआ कि यूनाइटेड नेशन का टू स्टेट प्लान कभी अमल में नहीं लाया जा सका. टू स्टेट प्लान संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन और इजरायल के विवाद खत्म करने के लिए किया था जिसमें यहूदियों के लिए इजरायल और फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन का प्रावधान.
लेकिन इतिहास गवाह है कि जब-जब इजरायल पर हमले हुए, इजरायल ने मुंहतोड़ जवाब दिया. न सिर्फ जवाब दिया बल्कि अपनी स्थिति भी मजबूत करता गया. फिर चाहे 1967 का 6 दिन का युद्ध हो या फिर 1973 का अरब-इजरायल युद्ध. हर युद्ध में इजरायल भौगौलिक तौर पर अपना आकार बढ़ाता गया. फिलिस्तीनियों की जमीन खिसकती गई.
1990 का दशक आते-आते इजरायल और फिलिस्तीन में बातचीत का दौर शुरु हुआ. एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद खत्म करने का प्रयास किया जाने लगा. दूसरी तरफ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने 1987 में हमास नाम के संगठन की शुरुआत की. अंग्रेजी में हमास का मतलब इस्लामिक रजिस्टेंश मूवमेंट है.
फिलीस्तीन को इस्लामिक स्टेट बनाने का था मकसद (Israel News)
हमास का उद्देश्य फिलिस्तीन को इजरायल से आजाद कराना और उसे इस्लामिक स्टेट बनाना था. फिलिस्तीन में हमास अपनी जड़ें जमा रहा था और उधर बातचीत के जरिए फिलिस्तीन और इजरायल के रिश्ते सामान्य होने लगे. 1995 में इजरायल ने फिलिस्तीनियों को जमीनें लौटाना शुरू कर दिया.
ओस्लो समझौते के तहत के तहत गाजा स्ट्रिप और वेस्ट बैंक को 3 तरह के क्षेत्रों में बांटा गया. जोन ए में ऐसे क्षेत्रों को रखा गया जिनपर फिलिस्तीन का पूरा नियंत्रण था. जोन बी में उन क्षेत्रों को रखा गया, जहां प्रशासन फिलिस्तीन का लेकिन सुरक्षा इजरायल के हाथ रही. इसी तरह जोन सी में वो क्षेत्र थे जहां पूर्ण रूप से इजरायल का नियंत्रण था.
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1995 में हुए ओस्लो-2 समझौते के बाद जो वेस्टबैंक से फिलिस्तीन के हिस्से में कई प्रमुख शहर आए जिसमें हेब्रों, यत्ता, बेतलहम, रमल्ला, कल्कइलियाह, तुलकार्म, जैनीन, नाबुलुस थे. इसके अलावा गाजा पट्टी के शहर भी फिलिस्तीन को मिले. जिसमें रफाह, खान यूनुस, डायरल, अलबलह, जबलियाह, अन नजलाह शामिल हैं. इस समझौते के बाद ऐसा लगने लगा था कि इजरायल और फिलिस्तीन का विवाद अब खत्म हो गया है. अब दोनों देश शांतिपूर्वक आगे बढ़ेंगे. लेकिन दोनों पक्षों के कट्टरपंथियों को ये समझौता मंजूर नहीं था.
यहूदियों और मुसलमानों का त्योहार हुआ एक दिन (Israel Attack Full Story)
1994 में इत्तेफाक से यहूदियों का त्योहार पुरिम और मुसलमानों को रमदान एक ही दिन पड़ गया. तब एक यहूदी कट्टरपंथी ने मुसलमानों की भीड़ पर फायरिंग कर दी. इसके बदले में हमास के आतंकियों ने आत्मघाती हमलों के जरिए धमाके शुरू कर दिए. इन घटनाओं के बाद भी ओस्लो समझौते पर बातचीत जारी थी.
शांति प्रयासों पर पूर्णविराम लगा 4 नवंबर 1995 को. जब एक कट्टरपंथी यहूदी ने प्रधानमंत्री यिजक रॉबिन की हत्या कर दी. फिर साल 1996 में बेंजामिन नेतन्याहू पहली बार इजरायल के प्रधानमंत्री बने. नेतन्याहू ने सख्त रुख अपनाया, सेक्युरिटी विद पीस का नारा दिया और ओस्लो समझौते को मानने से इनकार कर दिया.
इधर हमास ने फिलिस्तीन की राजनीति पर धीरे-धीरे कब्जा कर लिया. हमास के आतंकी मुस्लिम भाईचारे के नाम पर फंड इकट्ठा करते हैं और उसका इस्तेमाल इजराइल ये खिलाफ करते हैं. आत्मघाती हमलों से शुरू हुआ हमास का आतंकी सफर अब रॉकेट अटैक तक पहुंच गया है. आए दिन हमास के आतंकी इजरायल पर हमला करते रहते हैं.
सदी का सबसे बड़ा हमला (Israel Attack Story)
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर जो रॉकेट दागे वो इस सदी का सबसे बड़ा अटैक है. अलजजीरा टेलिवजन के एक कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इजरायल पर ये हमला मुस्लिम देशों को संदेश है कि वो इजरायल से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास छोड़ दें.
हमास का साथ देता है हिजबुल्ला
आपको बता दें कि वेस्टबैंक में कई ऐसे मजहबी स्थल हैं, जिनपर यहूदी और इस्लामिस्ट दोनों दावा करते हैं. ऐसे ज्यादातर क्षेत्रों पर इजरायल का कब्जा है. हमास उन क्षेत्रों को इजरायल से छीनकर इस्लामिक देश बनाना चाहता है. क्योंकि मामला मजहबी है, इसलिए आतंकी संगठन हमास को समर्थन और फंडिंग भी मिल जाती है. मजहब के नाम पर युवाओं को बरगलाना और इजरायल पर आतंकी हमले करवाने में हमास का साथ हिजबुल्ला जैसे संगठन भी देते हैं