नमस्कार दोस्तों,
आज आप सब को मैं अपने दोस्त अमित की कहानी सुनाता हूं जिसका शीर्षक है मेरी अधूरी मोहब्बत जब हम दोनों टाइप सीखने के लिए अपने शहर में हीं टाइपिंग कोचिंग में गए हुए थे उस दिन अमित का पहला दिन था और मैं करीब एक माह पहले से कोचिंग शुरू किया था अमित अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था।
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तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नयनों वाली एक साँवली लड़की उसकी केबिन में आ रही थी। लड़की उसकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइपराइटर को ठीक किया और टाइप करने में मशगूल हो गई।
अमित की नजर जो उस लड़की पर टिकी तो हटने की नाम ही नहीं ले रहा था वहीं लड़की अपनी टाइपराइटर पर इस तरह अभ्यास कर रही थी मानो उसके लिए खिलौना हो, अमित अभी भी लड़की को देखे जा रहा था तभी लड़की गुस्सा में बोलती है (मेरी अधूरी मोहब्बत)
लड़की– क्या देख रहे हो.
अमित– आप इतनी तेज टाइप कर रहे हो वो देख रहा हूं।
लडकी– यहां क्या करने आए हो?
अमित– टाइप सीखने आया हूं।
लड़की– ऐसे सीखोगे?( गुस्सा में)
अमित– आज मेरा पहला दिन है तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।
लड़की– यदि तुम मुझे देखोगे तो कभी नहीं समझ पाओगे।
इतना बोल कर लड़की अपना टाइपिंग करना जारी रखती है,इधर अमित का मन लगता नहीं सीखने में उसने भी एक दो अक्षर कर के कुछ लिखा तभी टाइपराइटर की रिबन फंसा दिया जिसको लड़की ने देखा लिया
लड़की– ‘रिबन तो फँसेगा ही जब ध्यान कहीं और होगा…।’
लड़की उसके टाइपराइटर की रिबन ठीक करने लगी तभी रिबन नीचे गिर गया जिसको उठाने के लिए लड़की भी झुकी और अमित भी तभी लड़की की दुप्पटा भी सरक गई अब अमित की नज़र उसके उरोजों पर पड़ जाती है लड़की रिबन उठा कर उसके टाइपराइटर को सही कर देती है बोलती है लो ठीक हो गया। अमित अभी तक उसके ख्वाबों में हीं था.
फिर उसने आपने आप को संभाला और टाइप करने की कोशिश करने लगा तभी लड़की बोलती है कि- मन नहीं लग रहा है तो लड़की तरफ अमित देखते हुए बोलता है कि- लगता है सिख नहीं पाऊंगा।
लड़की– दिख तो कुछ ऐसा हीं लग रहा है।
अमित– आपका नाम क्या है?
लड़की– मेरे नाम क्यूं जानना है?
अमित– बस यूं हीं।
लड़की– शीतल (कुछ देर बाद)
अमित– जैसी आप हो वैसी आपकी नाम भी है ।
कोचिंग की टाइम समाप्त हो जाती है शीतल अपना बैग लेकर घर के लिए निकल जाती है लेकिन अभी भी अमित के सामने शीतल की ठंडी का एहसास महसूस कर ही रहा था. अमित घर जाने के बाद भी उसी की ख्यालों में खेत खलियान में भरी दोपहर में खोया रहने लगा। अगले दिन उसने एक पेपर पर कुछ कविता लिख कर लाया और शीतल को दिया ये आप पढ़ो शीतल कविता पढ़ती है (मेरी अधूरी मोहब्बत)…
अब बूढ़ा हो चला पीपल, मेरी अधूरी मोहब्बत
अब बूढ़ा हो चला है पीपल। छाया मगर वैसी ही है शीतल ।। आंगन की वो शान है,नई पीढ़ी कुछ परेशान है, बाबा की वो साथी है,उसी में उनकी जान है। निहारते हैं उसे ये हर पल। अब बूढ़ा हो चला है पीपल ।। दोनों भाइयों ने ठानी है,बाबा की ये मनमानी है, आंगन इसी ने घेर रखा है,काटकर बैठक यहां बनानी है। हुआ किंतु प्रयास असफल । बूढ़ा हो चला है पीपल ।। बाबा बोले, मेरे बाद मेरी सरपस्ती समझोगे, सताए गी गर्मी तो छांव ढूंढो गे, ताजी हवा ये तजुर्बा मिलेगा नहीं, हमारे बाद हमारे लिए तड़पोगे। मेरे बाद सोने को बनाना पीपल। छाया आज भी वैसी है शीतल ।l ये कविता पढ़ने के बाद शीतल ने कागज अमित के तरफ बढ़ा देती है और अपना टाइप करने के टाइपराइटर ठीक करने लगती है तभी अमित बोला है- क्या आप इसे टाइप कर दोगी, फिर शीतल उस कविता को टाइप करने में लग जाती है. आज भी अमित का मन टाइप करने में नहीं लग रहा है बस शीतल के तरफ ही देखे जा रहा है तभी शीतल टाइप के उसका कविता दे देती है और बोलती है की है.. शीतल- तुम कविता भी लिखते हो। अमित- कभी-कभी थोड़ा बहुत।
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इस पर शीतल मुस्कुराती है और अपना टाइपिंग की अभ्यास करने लगती है तभी शीतल की बगल वाली लड़की शीतल से बोलती है कि क्या बात है आज तू बहुत खुश हो पहले कभी नहीं देखा, इसपर शीतल शरमाते हुए टाइपिंग जारी रखती है अब टाइपिंग की क्लास ऑफ हो चुकी थी हम सब अपने घर आ गए, लेकिन अमित मुझसे हमेशा उसी की बात करता ऐसा लगा मानो उसके देखे बिना रह नहीं पाएगा।
शीतल क्लास रूम में
अगले दिन फिर हम लोग कुछ समय पहले पहुंच गए कोचिंग में मैं अपना प्रयास करने लगा लेकिन शीतल अभी तक आई नहीं आई थी तो अमित बाहर की ओर ही टक टकी लगाए हुए था कुछ देर बाद शीतल आती है वो भी नए लुक में चेहरे पर मुस्कान के साथ होठों पर लिपिस्टिक और पीली सलवार सूट में मानो उसे कोई ऐसी चीज मिल गई हो जो वर्षो से तलाश थी.
क्लास रूम में आई तो सभी लोग उसी की तरफ देख रहे थे ऐसा लगता था की अमित के बाद शीतल पर भी प्यार का की पारा चढ़ गया हो अमित भी आज समझ चुका था की आज इतना सज संवर कर अपने प्यार का इजहार करना चाहती है फिर दोनों आपस में बात करने लगते हैं।
मुझ पर प्यार का परवान चढ़ने लगा (मेरी अधूरी मोहब्बत)
दोनों एक दूसरे के देखे बिना नहीं रह पाते थे फिर दोनों के मन में शादी करने का विचार आया लेकिन दोनों ही के बड़े बच्चे थे जिससे जिमेदारी भी इनके ऊपर थी दोनों चाहते थे की पहले कुछ काम मिल जाय तो घर की आर्थिक स्थिति अच्छी हो जायेगी, लगातार जब तक क्लास चली तब तक मिलाजुला करते थे दोनों फिर एक दिन अमित की जॉब लगती है इसके ऊपर भी भाई को पढ़ाने का दबाव था.
उसके बाद अमित ने शीतल के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगा कहां गई वो क्यूंकि उस समय हमलोगों के पास फोन थे नहीं तो डायरेक्ट संपर्क नहीं हो पाता था मैंने भी शीतल को पता लगाने की कोशिश की कोचिंग से उसका पता निकाला लेकिन उस पते पर शीतल नाम की लड़की रहती ही नहीं आस पास के लोगों से भी पूछा लेकिन किसी ने नहीं बताया अंत में मैं हार मान गया लेकिन अमित हार मानने को त्यार नहीं है वो आज भी उसी की आस में अभी तक राह देख रहा है।
Meri Adhuri Prem Khani
अमित उदास रहने लगा
इस कहानी को अगर शीतल पढ़ रही हो तो plz एक बार अमित से आ कर मिल लो वो तुम्हारे बिना गुमशुम रहता है न ज्यादा बात करता और न हीं किसी से मिलता जुलता उसको दोस्ती से भरोसा उठ सा गया है..
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जल्द ही आपका प्यार मिल जाए ईश्वर से यही दुआ करते हैं