Asha Kiran Barla एक आदिवाशी परिवार की होनहार लड़की हैं इन्होंने अपने मेहनत और लगन के दम पर आज वो मुकाम हासिल कर लीं हैं जिसे हर किसी का सपना होता है। इन्होंने देश के साथ साथ अपने गांव और परिवार का भी नाम रौशन किया है।
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Athelet Asha Kiran Barla Biography In Hindi
Asha Kiran Barla Biography: आशा किरण बरला मूलतः झारखंड राज्य के गुमला जिले की रहने वाली हैं इनका जन्म को स्थानीय जगह पर हीं हुआ था। आशा एक आदिवासी समाज से आती हैं इन्होंने अपनी पढ़ाई सरकारी विद्यालय से तक की हुईं हैं।
Runner Ashakiran Barla Life Story (आशा किरण बरला की जीवन की कहानी)
एक कहावत है जो आप सब जानते हैं भी हैं कि “हौसले बुलंद हो तो रास्ते अपने आप बनते जाते हैं।” ऐसा ही कुछ कारनामा झारखंड की आशाकिरण बारला ने कर दिखाया है। आशा ने 1 महीने से कम में 29 दिन में दो बड़ी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर देश का मान बढ़ाया है। कुवैत सिटी में यूथ एशियन चैम्पियनशिप में 800 मी. रेस में आशा टॉप पर रहीं और गोल्ड पर कब्जा जमाया। इससे पहले सितंबर में आशा ने भोपाल में नेशनल यूथ एथलेटिक्स में गोल्ड जीती थी. आशा के इस मुकाम तक पहुंचने का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है।
आशा झारखंड राज्य के नक्सल प्रभावित एरिया गुमला की रहने वाली हैं। उनके घर में न तो बिजली की सुविधा है और न ही पीने के पानी की। आशा को चैम्पियनशिप में मेडल जीतने की जानकारी मां को देने में दो दिन लग गए थे। इसके पीछे का कारण यह था की आशा के घर न तो कोई फोन है और न ही बिजली, रांची से करीब 100 किमी दूर नवैध के आदिवासी गांव की रहने वाली आशा ने घर के बिजली कनेक्शन के लिए कई बार स्थानीय अधिकारियों से गुहार लगाईं,लेकिन कनेक्शन नहीं मिला। सोना जीतने की ख़बर मां को पड़ोसी ने बताया था।
बाजार से गांव जाने में लगता है डर
आशा को घर जाने का वक्त मुश्किल से मिलता है। लेकिन जब भी जाती हैं तो वह घर से लगभग तीन किमी की दूरी पर रुकती है। गुमला में साप्ताहिक बाजार लगते हैं वहां से घर जाने के लिए ट्रक पर बैठ कर जाना पड़ता है रास्ते में घना जंगल होने के कारण पैदल भी नहीं चल सकते हैं।
नहीं मिलता है सरकारी योजना का लाभ
वर्ष 2019 में आशा के पिताजी के निधन के बाद इनकी हालत और भी गंभीर हो गए थे आशा के परिवार का राशन कार्ड तक नहीं बना है जिससे उसे सरकार के तरफ से दी जाने वाली सुविधा का लाभ मिल सके. इनकी मां मजदूरी कर घर चलाती हैं। राशन कार्ड के लिए भी प्रयास किया किन्तु वो नहीं बन सका, पीने के पानी के लिए भी लड़ाई करनी पड़ती है तब जाकर पानी पीने को मिलते हैं।
AshaKiran Barla Career
आशा किरण कई मेडल जीत चुकीं हैं जूनियर में तीन नेशनल गोल्ड जीत चुकीं हैं। आशा किरण ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 2017 में एक गोल्ड, 2018 में तीन गोल्ड, 2019 में एक गोल्ड, 2021 में एक सिल्वर और 2022 में भी दो गोल्ड जीत चुकी है।
आशा के कोच आशु भाटिया ने कहा, ‘वह बहुत प्रतिभाशाली लड़की है। मां ने उसे और उसके तीन भाई-बहनों को कठिन परिस्थितियों में पाला-पोसा है। वह खेल को लेकर काफी समर्पित और कभी भी ट्रेनिंग नहीं छोड़ती है।’