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आज एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं की जो आज के समय में घटित हो रहे हैं जिसका शीर्षक है Unwanted Daughter या मार्मिक कहानी अनचाही बेटी दुनिया में बहुत ऐसे लोग हैं जिनके कोई औलाद नहीं है और बहुत ऐसे लोग हैं जिनको बेटी पसंद नहीं है । बहुत ऐसे लोग हैं जो एक बच्चा के लिए न जाने कितने देवी देवता की पूजा किए हैं और न जाने कहां-कहां भटकते फिर रहे हैं लेकिन फिर भी लोगों को मायूसी हाथ लगती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको कोई परवाह ही नहीं की मेरे कितने बच्चे हैं या मेरे पास लड़का क्यूं नहीं है.
अनचाही बेटी की कहानी (Unwanted Daughter)
ये कहानी रघु और पिंकी की है जो दोनो पति पत्नी हैं रघु और पिंकी साधारण घर से हैं और अपना रोजीरोटी खेती बाड़ी से चलते हैं इन दोनों की एक बेटी भी है जो करीब 5 वर्ष की है पिंकी दुबारा मां बनने वाली है. पिंकी को प्रसव पीड़ा होने पर रघु पास के अस्पताल में ले गया है जहां उसे पिंकी को अस्पताल वालों ने भर्ती कर लिया करीब 5 घंटे बाद पिंकी की डिलीवरी होती है डॉक्टर ने रघु को आकार सूचना देता है की बधाई हो आपको जुड़वा बच्चे हुए हैं एक लड़का और एक लड़की। इतना सुनते हीं रघु बहुत खुश होता है किंतु अगले ही छन नाराज हो जाता है क्यूंकि उसको दूसरी बार भी एक लड़की होती है। रघु - कब तक मिल सकते हैं डॉक्टर - अभी कुछ देर बाद आप जनरल वार्ड में मिल सकते हैं रघु - कुछ देर बाद पत्नी और बच्चों से मिलने जाता है लेकिन वो खुश नहीं रहता । पत्नी अभी बेहोशी की हालत में रहती है। रघु - पत्नी के पास खड़ी नर्स को लालच देता है की आपको मैं कुछ पैसे देता हूं मुझे लड़की को यहां से अनाथ आश्रम में दे देता हूं मुझे लड़की नहीं सिर्फ लड़का चाहिए।कुछ देर सोचने के बाद, हामी भर देती है और रघु लड़की को लेकर निकल अनाथ आश्रम के लिए निकल जाता है। बाहर निकलते हीं कुछ दूरी पर एक चाय की तपरी थी जहां एक आदमी रो रहा था उस आदमी को रोता देख कर रघु पूछता है की रघु - क्या हुआ भाई साहब? आदमी - क्या कहें भाई बहुत दिनों बाद एक बच्चा भी हुआ जो जीवित नहीं रह पाया। रघु - अफसोस करता है और डांडस बंधवाता है आदमी - पत्नी अभी बेहोश है जब होश में आएगी तो न जाने कैसे मैं उसके सामने जा पाऊंगा। रघु - संतावना देता है। आदमी - आप इतना छोटा बच्चा ले कर कहां जा रहे हैं ? किसका बच्चा है ? रघु - ये मेरी बच्ची है मेरी पत्नी को जुड़वा बच्चा हुआ है तो मुझे लड़की नहीं सिर्फ लड़का चाहिए जो मैं लड़का को रख लिया और लड़की को अनाथ आश्रम में देने जा रहा हूं। आदमी - इतना सुनते हीं रघु पर नाराज होता है और बोलता है कैसे पिता हो जो इस तरह का काम कर रहे हो। रघु - क्या करें पहले से भी लड़की है और फिर लड़की मुझसे इतना भार नहीं उठेगा तो मैं अनाथ आश्रम जा रहा हूं। आदमी - आप मुझे इस बच्ची को दे दो मैं इसे अपनी बच्ची की तरह रखूंगा। रघु - बिना देर के हामी भर देता है और ये भी जानने की कोशिश करता है नहीं करता है की कहां का है कहां का नहीं। और बच्ची को दे देता है । आदमी अब बच्ची को लेकर आता है और अपनी पत्नी की बगल में सुला देता है कुछ देर बाद उसकी पत्नी होश में आती है और बहुत खुश होती है उसे थोड़ा भी एहसास नहीं होता है की वो बच्ची उसकी नहीं है।
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इधर रघु अपने पत्नी के पास पहुंचता है तब तक उसे होश आ चुकी होती है और अपना बच्चा के साथ हंसती खेलती है उसे भी पता नहीं चलता की उसके जुड़वां बच्चे हुई हैं कुछ देर बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है वो जब घर आती है तो उसके सास पोते, बहु और बेटे को आरती उतारती है सभी लोग बहुत खुश रहते हैं लेकिन रघु और पिंकी की 5 साल की बड़ी बेटी चुपचाप कोने से सब देखती रहती है कोई उसे पूछता तक नहीं है सभी लोग घर का जो नया चिराग आया है उसे ही लाड प्यार करते हैं
कहानी का अगला भाग के लिए आप हमारे साथ बने रहें।
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